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Friday 17 June 2016

सिरते मुस्तफा ​ﷺ


*​जंग उहूद*
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

कुफ्फार के अलम बरदार खुद कट कट कर गिरते चले जा रहे थे मगर उनका झन्डा गिरने नही पाटा था एक के क़त्ल होने के बाद दूसरा उस झन्डे को उठा लेता था। उन काफिरो के जोशो खरोश का ये आलम  था कि जब एक काफ़िर ने जिस का नाम सवाब था मुशरिकीन का झन्डा उठाया तो एक मुसलमान ने उसको इस ज़ोर से तलवार मारी कि उसके दोनों हाथ काट कर ज़मीन पर गीत पड़े मगर उसने अपने क़ौमी झन्डे को ज़मीन पर गिरने नहीं दिया बल्कि झन्डे को औने साइन से दबाये हुए ज़मीन पर गिर पड़ा। इस हालत में मुसलमानो ने उसे क़त्ल कर दिया। मगर वो क़त्ल होते होते येही कहता रहा कि में ने अपना फ़र्ज़ अदा कर दिया।

उसके मरते ही एक बहादुर औरत जिस का नाम अमरह था उसने झपट कर क़ौमी झन्डे को अपने हाथ में ले कर बुलंद कर दया, ये मन्ज़र देख कर कुरैश को गैरत आई और उन की बिखरी हुई फैज़ सिमट आई और उस के उखड़े हुए क़दम फिर जैम गए।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 262*
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