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Sunday 26 June 2016

तफ़सीरे अशरफी


*सूरए बक़रह_पारह-01*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ②①_तर्जुमह*
अय लोगो ! पूजो अपने परवरदिगार को, जिसने पैदा फ़रमाया तुम्हे और उन्हें, जो तुम्हारे पहले हुए, के उम्मीद रख सको के डरने लगोगे।

*तफ़सीर*
अय मोमिन व काफ़िर सब (लोगो ! पूजो) और सिर्फ अल्लाह तआला को पूजो, के उसके सिवा कोई इलाह व मअबूद नही है, न हो सकता है। मअबूदियत का ऐअतेकाद {उसके खुदा होनेका अक़ीदा} रख कर, उसका कुर्ब चाहने के लिये जो करो, वही तुम्हारी पूजा है। तुम अपने पालनेवाले अल्लाह के एहसानात तो देखो के वही है, जिसने पैदा फ़रमाया तुम्हे और सिर्फ तुम ही को नही, बल्कि उन्हें भी, जो तुम्हारे पहले सारी काएनात में पैदा हुए है। इस इबादत की बदौलत तुम इस क़ाबिल होंगे के उम्मीद रख सको, के डरने लगोगे और खुदाका खौफ तुम्हारे दिलमे पैदा हो जाएगा।
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