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Sunday 5 June 2016

तफ़सीरे अशरफी




सूरतुल फातेहा, पारह-1
आयत ②
तर्जुमह
बड़ा महेरबान बख्शनेवाला
तफ़्सीर
और अपने सब बन्दों पर बड़ा महेरबान है और मोमिन हो या काफ़िर, सब पर महेरबानी फ़रमाता है। और क़यामत के दिन मुसलमानो में गुनाहगारो को वही बख्शनेवाला है।

आयत ③
तर्जुमह
मालिक रोज़े जज़ाका।
तफ़्सीर
वही है, जो क़यामत के दिन सबको दिखलाई पड़ेगा के वही और सिर्फ वही मालिक क़यामत के दिन का है। और कोई उस दिन मिल्कीय्यत का दावेदार नही है।

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