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Tuesday 14 June 2016

नमाज़ के अहकाम

*मुसाफिर की नमाज़*
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

_*शरई सफर की मसाफत*_
शरअन मुसाफिर वो शख्स है जो साठे 57 मिल (तकरीबन 92 किलो मीटर) के फासिल तक जाने के इरादे से अपने मक़ामे इक़ामत मसलन शहर या गाउ से बाहर हो गया।
*फतावा रज़विय्या 8/270*

*_मुसाफिर कब होगा_*
महज़ निययते सफर से मुसाफिर न होगा बल्कि मुसाफिर का हुक्म उस वक़्त है कि बस्ती की आबादी से बाहर हो जाए शहर में है तो शहर से, गाउ है तो गाउ से, और शहर वालो के लिये ये भी ज़रूरी है की शहर के आस पास जो आबादी शहर से मुत्तसिल है उससे भी बाहर आ जाए।
*दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार 2/599*

*_आबादी खत्म होने का मतलब_*
आबादी से बाहर होने से मुराद ये है कि जिधर जा रहा है उस तरफ आबादी खत्म हो जाए अगर्चे उसकी बराबर दूसरी तरफ खत्म न हुई हो
*गुन्यातल मुस्तमली 536*
*नमाज़ के अहकाम 224*
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