बख्शिस नहीं होती
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
हर पिर और जुमेरात के दिन लोगो के आमाल पेश किये जाते है, फिर बुग्ज़ व किना रखने वाले के इलावा हर मोमिन को बख्श दिया जाता है और कहा जाता है : इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक की ये बुग्ज़ से वापस पलट आएं।
मुसलमानो का किना अपने सिनेमे पालने वालो के लिए रोने का मकाम है की खुदाए रहमान की तरफ से बख्शीश के परवाने तकसीम होते है लेकिन किना परवर अपनी कलबी बीमारी की वजह से बख्शे जाने वाले खुश नसीबो में शामिल होने से महरूम रह जाते है।
तुजे वासिता सारे नबियों का मौला
मेरी बख्श दे हर खता या इलाही....
बुग्ज़ व किना स. 9
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DEEN-E-NABI ﷺ
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हर पिर और जुमेरात के दिन लोगो के आमाल पेश किये जाते है, फिर बुग्ज़ व किना रखने वाले के इलावा हर मोमिन को बख्श दिया जाता है और कहा जाता है : इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक की ये बुग्ज़ से वापस पलट आएं।
मुसलमानो का किना अपने सिनेमे पालने वालो के लिए रोने का मकाम है की खुदाए रहमान की तरफ से बख्शीश के परवाने तकसीम होते है लेकिन किना परवर अपनी कलबी बीमारी की वजह से बख्शे जाने वाले खुश नसीबो में शामिल होने से महरूम रह जाते है।
तुजे वासिता सारे नबियों का मौला
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