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Wednesday 13 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-37
*सूरए बक़रह_पारह-01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ③⑥_तर्जुमह*
हिसा-01
पस फ़िस्ला दिया दोनोंको शैतान ने उससे। तो निकाला दोनों को उस घर से, जिसमे वो थे। और हुक्म दिया हमने के निचे उतर जाओ ! तुम्हारा बाज़ बाज़ के लिये दुश्मन है। और तुम्हारे लिये ज़मीन में ठिकाना और रहन सहन है कुछ मुद्दत तक।

*तफ़सीर*
     इब्लीस से हज़रते आदमक आराम में रहना देखा न गया। उसकी बर्दास्त से बाहर हो गया, के हज़रते आदमको रफिक़ ए हयात बीवी हव्वा मिली और दोनों जन्नत की बहारो में ऐश कर रहे है।
     उसने उन दोनों से मिलने की राह निकाली और दरवाज़ ए जन्नत पर दोनों को अपनी तरकीबोसे पा लिया, और पहले बीवी हव्वा, फिर हज़रते आदम से मक्कार बन कर बोला के आप इस दरख्त का फल खा ले। इसका फल खानेवाला हमेशा जन्नत में रहेगा और फरिश्तों की सफ में दाखिल हो जाएगा। वरना आप लोग फरिश्तों से दूर कर दिये जाएंगे और नजदीकी छीन कर जुदाई हो जायेगी। इस लर उसने अल्लाह के नाम की क़सम खा ली।
     हज़रते आदम की शाने पाक के खिलाफ था के वो फरिश्तों की जुदाई को पसंद फरमाते। और ये भी पसंद नही हो सकता था के किसी क़सम खानेवाले को जुटा फरमा दे।
     चुनांचे निर्दोष नेक निय्यत के साथ इब्लीस के कहेको, खैर ख्वाहि (भलाई) समझा।
     इस तरह इब्लीस अपनी चाल चल गया।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
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