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Wednesday 27 July 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*_हादिषए रजीअ_*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अस्फान व मक्का के दरमियान एक मक़ाम का नाम "रजीअ" है। यहाँ की ज़मीन 7 मुक़द्दस सहाबए किराम में खून से रंगीन हुई है। ये दर्दनाक सानिहा भी सि.4 हि. में पेश आया। इस का वाक़या ये है की क़बिलए अज़ल व क़ारह के चन्द आदमि बारगाहे रिसालत में आए अर्ज़ किया की हमारे क़बीले वालो ने इस्लाम क़बूल कर लिया है। अब आप चन्द सहाबए किराम को वहा भेज दे ताकि वो हमारी क़ौम को अक़ाइदो आमाले इस्लाम सिखा दे।
     उन लोगो की दर ख्वास्त पर हुज़ूरﷺ ने 10 मुन्तख़ब सहाबा को हज़रते आसिम बिन षाबितرضي الله تعالي عنه की मा तहति में भेज दिया। जब ये मुक़द्दस क़ाफ़िला मक़ामे रजीअ पर पहुचा तो गद्दार कुफ्फार ने बद अहदी की और क़बीलए बनू लहयान के काफिरो ने 200 की तादाद में जमा हो कर इन 10 मुसलमानो पर हम्ला कर दिया, मुसलमान अपने बचाव के लिये एक उचे टीले पर चढ़ गए। काफिरो ने तीर चलाना शुरू किया और मुसलमानो ने टीले की बुलंदी से संगबारी की। कुफ्फार ने समझ लिया की हम हथियारों से इन मुसलमानो को खत्म नही कर सकते तो उन लोगो ने धोका दिया और कहा की ऐ मुसलमानो ! हम तुम लोगो को अमान देते है और अपनी  पनाह में लेते है इस लिये तुम लोग टीले से उतर आओ।
     हज़रते आसिमرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया की में किसी काफ़िर की पनाह में आना गवारा नही कर सकता। ये कह कर खुदा से दुआ मांगी "या अल्लाह ! तू अपने रसूल को हमारे हाल से मुत्तलअ फरमा दे" फिर वो जोशे जिहाद में भरे हुए टीले से उतरे और कुफ्फार से दस्त बदस्त लड़ते हुए अपने 6 साथियो के साथ शहीद हो गए।

बाक़ी अगली पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा 289*
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