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Thursday 14 July 2016

नमाज़ के अहकाम

*नमाज़े जनाज़ा का तरीका*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_जनाज़ा देख कर पढ़ने का विर्द_*
     हज़रते मालिक बिन अनसرضي الله تعالي عنه को बादे वफ़ात किसी ने ख्वाब में देख कर पूछा : अल्लाह ने आप के साथ क्या सुलूक किया ? कहा : एक कलिमे की वजह से बख्श दिया जो हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنه जनाज़े को देख कर कहा करते थे।
*سُبْحٰنَ الْحَيِّ الَّذِيْ لَايَمُوْت*
सुब्हान-ल हय्यिल-लज़ी ला-यमुत
_तर्जुमह_
वो ज़ात पाक है जो ज़िन्दा है उसे कभी मौत नही आएगी।
     लिहाज़ा में भी जनाज़ा देख कर यही कहा करता था ये कलिमा कहने के सबब अल्लाह ने मुझे बख्श दिया।
*अहयाउल उलूम 5/266*

*हुज़ूरﷺ ने सबसे पहला जनाज़ा किस का पढ़ा ?*
     नमाज़े जनाज़ा की इब्तिदा हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के दौर से हुई है, फरिश्तों ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के जनाज़ए मुबारक पर 4 तकबीर पढ़ी थी।
     इस्लाम में वुजूबे नमाज़े जनाज़ा का हुक्म मदीना में नाज़िल हुवा। हज़रते असअद बिन ज़ुरराहرضي الله تعالي عنه का विसाले मुबारक हिज़रत के बाद 9वे महीने के आखिर में हुवा और ये पहले सहाबी की मैयित थी जिस पर नबीﷺ ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ी।
*✍🏽फतावा रज़विय्या 5/375*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 272*
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