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Saturday 23 July 2016

अब्लाक़ घोडा

*पुल सिरात की सवारी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : इन्सान बक़रह ईद के दिन कोई ऐसी नेकी नही करता जो अल्लाह को खून बहाने से ज़्यादा प्यारी हो, ये क़ुरबानी क़यामत में अपने सींगो, बालो और खुरो के साथ आएगी, और क़ुरबानी का खून ज़मीन पर गिरने से पहले अल्लाह के हां क़बूल छ्प जाता है। लिहाज़ा खुश दिली से क़ुरबानी करो।
*✍🏽तिर्मिज़ी 3/162*

     शेख अब्दुल हक़ मुहद्दिस दहलवी अलैरहमा फरमाते है : क़ुरबानी अपने करने वाले के नेकियों के पल्ले में रखी जाएगी जिस से नेकियों का पलड़ा भारी होगा।

     हज़रते अल्लामा अली क़ारी अलैरहमा फरमाते है : फिर उस के लिये सुवारि बनेगी जिस के ज़रिए ये शख्स ब आसानी पुल सिरात से गुज़रेगा और उस (जानवर) का हर उज़्व मालिक (यानी क़ुरबानी पेश करने वाला) के हर उज़्व के लिये जहन्नम से आज़ादी का फिदया बनेगा।
*✍🏽मीराआत 2/375*
*✍🏽अब्लाक़ घोडा 3,4*
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