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Friday 1 July 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


*जंगे उहूद*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_ताजदारे दो आलम ﷺ ज़ख़्मी_*
हिस्सा-03
उबय्य बिन खल्फ़ ने मक्का में एक घोडा पाला था जिस का नाम इसने "औद" रखा था। वो रोज़ाना उस को चराता था और लोगो से कहता था कि में इस घोड़े पर सुवार हो कर मुहम्मद को क़त्ल करूँगा।
जब हुज़ूर ﷺ को इसकी खबर हुई तो आप ﷺ ने फ़रमाया कि इन्शा अल्लाह में उबय्य को क़त्ल करूँगा। चुनान्चे उबय्य अपने उस घोड़े पर चढ़ कर जंगे उहूद में आया था जो ये वाकिया पेश आया।
उबय्य नेज़े के ज़ख्म से बे क़रार होंकर रास्ते भर तड़पता और बिलबिलाता रहा। यहाँ तक कि जंगे उहूद से वापस आते हुए मक़ामे "सरफ" में मर गया।
इस तरह इब्ने कमीआ मलऊन जिस ने हुज़ूर ﷺ के रूखे अन्वर पर तलवार चला दी थी एक पहाड़ी बकरे को खुदा वन्दे क़ह्हार व जब्बार ने उस पर मुसल्लत फरमा दिया और उस ने इसकी सिंग मार मार कर छलनी बना डाला और पहाड़ की बुलंदी से निचे गिरा दिया जिससे उसकी लाश के टुकड़े टुकड़े हो कर ज़मीन पर बिखर गए।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 272*
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