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Tuesday 26 July 2016

मुर्दे की बेबसी

*चार बे बुन्याद दावे*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दूसरा दावा अल्लाह ही रोज़ी देने वाला है_*
     बेशक अल्लाह ही रोज़ी का काफिल है मगर फिर भी हुसूले रिज़्क़ का अंदाज़ा निहायत अज़ीबो गरीब है। अल्लाह को रज़्ज़ाक मानने और रोज़ी देने वाला तस्लीम करने के बा वुजूद न जाने क्यू लोग सूद का लेन देंन करते, सुदी क़र्ज़े ले कर फैक्टरियां चलाते और इमारते बनवाते है ! जब अल्लाह को रोज़ी देने वाला तस्लीम कर लिया तो अब कोनसी बात रिशवत लेने पर मजबूर करती है? क्या वजह है की मिलावट वाला माल फरेब कारी के साथ बेचना पड़ रहा है ? क्यू चोरियों और लूटमार का सिलसिला है ? रोज़ी के ये हराम ज़राएअ आखिर क्यू अपना रखे है ?

*_तीसरा दावा दुन्या से आख़िरत बेहतर है_*
     यक़ीनन दुन्या से आख़िरत बेहतर है ये दावा करने के बावुजूद सद करोड़ अफ़सोस ! अंदाज़ सिर्फ और सिर्फ दुन्या को बेहतर बनाने वाला है, फ़क़त दुन्या की दौलत समेटने ही की मसरूफियत है, बन्दा का तर्ज़ ये बताता है गोया दुन्या से कभी जाना ही नही।

बाक़ी अगली पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽मुर्दे की बेबसी, 10*
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