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Monday 18 July 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*जंगे उहुद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_कुबुरे शुहदा की ज़ियारत_*
     हुज़ूरﷺ शोहदाए उहुद की क़ब्रो की ज़ियारतके लिये तशरीफ़ ले जाते थे और आल के बाद हज़रते अबू बक्र व हज़रते उमरرضي الله تعالي عنهم का भीये अमल रहा।
     एक मर्तबा हुज़ूरﷺ शोहदाए उहुद की क़ब्रो पर तशरीफ़ ले गए तो इरशाद फ़रमाया कि या अल्लाह ! तेरा रसूल गवाह है कि इस जमाअत ने तेरी रिज़ा की तलब में जान दी है, फिर ये भी इरशाद फ़रमाया कि क़यामत तक जो मुसलमान भी इन शहीदों की क़ब्रो पर ज़ियारत के लिये आएगा और इनको सलाम करेगा तो ये शुहदाए किराम उसके सलाम का जवाब देंगे।
     चुनांचे हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها का बयान है कि में एक दिन उहुद के मैदान से गुज़र रही थी। हज़रते हम्ज़ाرضي الله تعالي عنه की क़ब्र के पास पहुच कर में ने अर्ज़ किया कि ऐ रसूलल्लाहﷺ के चचा ! आप पर सलाम हो, तो मेरे कान में ये आवाज़ आई कि वालेकुम सलाम व-रहमतुल्लाहि व-बरकातुहु।

*_हयाते शुहदा_*
     46 बरस के बाद शुहदाए उहुद की बाज़ क़ब्रे खुल गई तो उनके कफ़न सलामत और बदन तरो ताज़ा थे और तमाम अहले मदीना और दूसरे लोगो ने देखा कि शुहदाए किरामرضي الله تعالي عنهم अपने ज़ख्मो पर हाथ रखे हुए है और जब ज़ख्म से हाथ उठाया तो ताजा खून निकल कर बहने लगा।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 237*
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