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Saturday 9 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*नेकीयोंकी तलकी और उनका अजर्*
(cont...)

*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

दुआके बाद मायूस न हो बल्के इसकी कबूलियत का इन्तेजार करो। लोगोंसे दुश्मनी के बजाय दोस्ती शआर कारो। खुदा की बंदगी के लिए ईखटटे राहो, उल्फत से काम लो, नफरत व् कीना से बचो, गुनाहो मुर्तक़िब ना हो और अपने रब की बन्दगी से अपनी जात को संवारो। दरबारे खुदावन्दी से न हटो। हर वक़्त उसी जानिब मुतवज्ज़ा रहो। तौबा करने में जल्दी करो। दिन-रात के किसी हिस्सेमें गुनाहों से माफी मांगने को तबियत पर बोज न जनो। ये करो तो सायद तुम पर रहेम किया जाए, तुम्हे दोजख की आगसे बचा कर जन्नत में दाखिल किया जाए, और तुम्हे विसाले खुदावन्दि की सआदत हासिल हो। मुमकिन है दारुस्सलाम में तुम्हे हमेसा हमेस के लिये पाकीजा कुंवारिया मिलेँ, दूसरी नेमतें मयस्सर हों, आला नसल के घोड़ों पर सवारी नसीब हो और तरह तरह की खुश्बूओँ और हूरों और खुश आवाज लोंडियो की नेअमतोसे तुम्हे खुश किया जाए और सिद्दिकैन, शोहदा और सालेहीन के साथ खातमा बिलखैर हो।

*✍🏽फुतुह अल गैब*  6 ___________________________________
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