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Sunday 31 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*जलाली और जमाली सिफात:*
(हिस्सा 2)
 *بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

     जलाली वो जो खौफ-व-हैबत, बेअकली और बेआरामी पैदा करते हैं और इससे आअज़ाए जिस्म पर खौफ-व-देहशत के आसार मरतब होते हैं। जैसा के रसूले करीम अलैहिस्सलात व तस्लीम के मुतअल्लिक अहादीस में है के नमाज़ मे शिद्दते खौफ के बाइस उनके सीनए मुबारक से जोश खाती हुइ देग जैसी आवाज़ सुनाइ देती थी। क्यों के वो चीज़ हुज़ूर खुदा तआला के जलाल-व-जबरूत (अज़मत व जलाल के इल्म) को देखते थे और आप पर अज़मत व हैबते खुदावंदी का ईंन्किशाफ होता था। ईसी तरह हजरत ईब्राहीम खलीलुल्लाह (अलयहिस्सलाम) और हजरत उमर फारुक رضي الله تعالي عنه के लिये मंकुल है जो अपनी ज़ातके लिये नहि बल्के गैरते हक और हिफज़े तौहीद के लिये होता था।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 20
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खादिमे दिने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैयद*
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