*नमाज़ की 6 शराईत*
#01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*तहारत*
नमाज़ी का बदन, लिबास और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहा है उस जगह का हर किस्म की नजासत से पाक होना ज़रूरी है।
*सित्रे औरत*
मर्द के लिये नाफ़ के निचे से ले कर घुटनो समेत बदन का सारा हिस्सा छुपा हुवा होना ज़रूरी है
जब की औरत के लिये इन पाँच आज़ा : मुह की टिक्ली, दोनों हथेलिया और दोनों पाउ के तल्वो के इलावा सारा जिस्म छुपाना लाज़िमी है अलबत्ता अगर दोनों हाथ (गिट्टो तक) पाउ (तखनो तक) मुकम्मल ज़ाहिर हो तो एक मुफ़्ता बिहि क़ौल पर नमाज़ दुरुस्त है।
अगर ऐसा बारीक कपड़ा पहना जिस से बदन का वो हिस्सा जिस का नमाज़ में छुपाना फ़र्ज़ है नज़र आए या जिल्द का रंग ज़ाहिर हो, नमाज़ न होगी।
आजकल बारीक कपड़ो का रवाज बढ़ता जा रहा है। ऐसे बारीक कपड़े का पाजामा पहनना जिस से रान या सित्र का कोई हिस्सा चमकता हो इलावा नमाज़ के भी पहनना हराम है।
मोटा कपड़ा जिस से बदन का रंग न चमकता हो मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो की देखने से उज़्व की हैअत मालुम होती हो। ऐसे कपड़े से अगर्चे नमाज़ हो जाएगी मगर उस उज़्व की तरफ दुसरो को निगाह करना जाइज़ नहीं। ऐसा लिबास लोगो के सामने पहनना मना है और औरत के लिये ब दरजए औला मुमानअत।
बाज़ ख्वातीन मलमल वग़ैरा की बारीक चादर नमाज़ में ओढ़ती है जिस से बालो की सियाही चमकती है या ऐसा लिबास पहनती है जिस से आज़ा का रंग नज़र आता है ऐसे लिबास में भी नमाज़ नहीं होती।
*नमाज़ के अहकाम, 155-156*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ, *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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नमाज़ी का बदन, लिबास और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहा है उस जगह का हर किस्म की नजासत से पाक होना ज़रूरी है।
*सित्रे औरत*
मर्द के लिये नाफ़ के निचे से ले कर घुटनो समेत बदन का सारा हिस्सा छुपा हुवा होना ज़रूरी है
जब की औरत के लिये इन पाँच आज़ा : मुह की टिक्ली, दोनों हथेलिया और दोनों पाउ के तल्वो के इलावा सारा जिस्म छुपाना लाज़िमी है अलबत्ता अगर दोनों हाथ (गिट्टो तक) पाउ (तखनो तक) मुकम्मल ज़ाहिर हो तो एक मुफ़्ता बिहि क़ौल पर नमाज़ दुरुस्त है।
अगर ऐसा बारीक कपड़ा पहना जिस से बदन का वो हिस्सा जिस का नमाज़ में छुपाना फ़र्ज़ है नज़र आए या जिल्द का रंग ज़ाहिर हो, नमाज़ न होगी।
आजकल बारीक कपड़ो का रवाज बढ़ता जा रहा है। ऐसे बारीक कपड़े का पाजामा पहनना जिस से रान या सित्र का कोई हिस्सा चमकता हो इलावा नमाज़ के भी पहनना हराम है।
मोटा कपड़ा जिस से बदन का रंग न चमकता हो मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो की देखने से उज़्व की हैअत मालुम होती हो। ऐसे कपड़े से अगर्चे नमाज़ हो जाएगी मगर उस उज़्व की तरफ दुसरो को निगाह करना जाइज़ नहीं। ऐसा लिबास लोगो के सामने पहनना मना है और औरत के लिये ब दरजए औला मुमानअत।
बाज़ ख्वातीन मलमल वग़ैरा की बारीक चादर नमाज़ में ओढ़ती है जिस से बालो की सियाही चमकती है या ऐसा लिबास पहनती है जिस से आज़ा का रंग नज़र आता है ऐसे लिबास में भी नमाज़ नहीं होती।
*नमाज़ के अहकाम, 155-156*
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