हिस्सा-54
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*आयत ⑤②, तर्जुमा*
फिर मुआफ़ फरमा दिया हमने तुमसे उसके बाद, के अब शुक्र गुज़ार हो।
*तफ़सीर*
ऐ यहूदियो ! अब हमारा करम देखो के फिर जब हज़रते मूसा कोहे तुर से तौरेत की तख्तियों के साथ लौटे और इस वाक़यात को देखा और जलाल (गुस्से) से भर गये और हमारे हुक्म से तुम्हारा क़त्ले आम होने लगा, तो हज़रते मूसा से देखा न गया और दुआ करने लगे, तो मुआफ़ फरमा दिया हमने और सजा उठा ली तुमसे इस तुम्हारे जुर्मे शदीद बूत परस्ती के बाद, के बार बार न फ़रमानी कर चुके और सजा पाते रहे, अब तो शुक्र गुज़ार हो जाओ।
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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