*अवामिर की ताअमिल(एहकाम) और नवाहीसे इजतिनाब (परहेज):*
(हिस्सा 7)
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
खुदा तआला खुद फरमाता है: "बेशक हम तुम्हें आजमाइशमें इसी खातिर डालते हैं के तुम जेहाद करने वाले और सब्र करनेवालोंकी पहेचान हो जाए और तुम्हारे आमाल-व-किरदारका इम्तेहान हो।" चुनान्चे तुम्हारा मोहकम ईमान और पुख्ता यक़ीन यही है के तुमने खुदा के फेअलकी मुताबअत (पैरवी) की। यकीन रख्खो के ये तौफीक भी खुदा ही की अता और उसके एहसान से है।
लेहाज़ा तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के क़ज़ा व कद्र को सब्रो इस्तेक़ामत के साथ तस्लीम करो और हर ऐसी नई बात से ऐहतेराज़ (परहेज़) करो। और खुदा के हर हुकमको खुशदिलीसे सुनो और उसे कुबूल करनेके लिये मुस्तयदी (तैयारी) से मुतहर्रिक हो जाओ। उसे सुनकर सोचते ही न रहो।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
*✍🏽फुतूहल ग़ैब* पेज 30
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ
*फ़ैयाज़ सैय्यिद*
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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खुदा तआला खुद फरमाता है: "बेशक हम तुम्हें आजमाइशमें इसी खातिर डालते हैं के तुम जेहाद करने वाले और सब्र करनेवालोंकी पहेचान हो जाए और तुम्हारे आमाल-व-किरदारका इम्तेहान हो।" चुनान्चे तुम्हारा मोहकम ईमान और पुख्ता यक़ीन यही है के तुमने खुदा के फेअलकी मुताबअत (पैरवी) की। यकीन रख्खो के ये तौफीक भी खुदा ही की अता और उसके एहसान से है।
लेहाज़ा तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के क़ज़ा व कद्र को सब्रो इस्तेक़ामत के साथ तस्लीम करो और हर ऐसी नई बात से ऐहतेराज़ (परहेज़) करो। और खुदा के हर हुकमको खुशदिलीसे सुनो और उसे कुबूल करनेके लिये मुस्तयदी (तैयारी) से मुतहर्रिक हो जाओ। उसे सुनकर सोचते ही न रहो।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
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