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Wednesday 31 August 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र को जहन्नम का गढ़ा बनाने वाले आमाल* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_ज़कात न देने का वबाल_* #01
     हज़रते मुहम्मद बिन युसूफ फरयाबि अलैरहमा कहते है : हम हज़रते अबी सनान के साथ उनके हमसाए की ताज़िय्यत के लिए गए तो देखा के उसका भाई बहुत आहो बुका कर रहा था, हमने उसे काफी तसल्लिया दी, सब्र की तलकीन की मगर उसकी गिर्या व ज़ारी बराबर जारी रही।
     हमने कहा : क्या तुम्हे मालुम नही के हर शख्स को आखिर मर जाना है ? वो कहने लगा : ये सहीह है मगर में अपने भाई के अज़ाब और रोटा हु। हमने पूछा : क्या अल्लाह ने तुम्हे ग़ैब से तुम्हारे भाई के अज़ाब की खबर दी है ? कहने लगा। : नही, बल्कि हुवा यु के जब सब लोग मेरे भाई को दफ़्न करके चल दिये तो में वही बेठा रहा, में ने उसकी क़ब्र से आवाज़ सुनी वो कह रहा था "आह ! वो मुझे तन्हा छोड़ गए और में अज़ाब में मुब्तला हु, मेरी नमाज़े और रोज़े कहा गए ?" मुझसे बर्दास्त न हो स्का मेने उसकी क़ब्र खोदना शुरू कर दी ताके देखु के मेरा भाई किस हाल में है ? जूही क़ब्र खुली, मेने देखा उसकी क़ब्र में आग दहक रही है और उसकी गर्दन में आग का तौक पड़ा हुवा है, में महब्बत में दीवाना वार आगे बढ़ा और उस तौक को उतारना चाहा मगर नाकाम रहा और मेरा ये हाथ उंगलियो समेत जल गया है।
     रावी का कहना है के हमने देखा वाकइ उसका हाथ बिलकुल सियाह हो चूका था। उस ने उसले कलाम ज़ारी रखते हुए कहा : में ने उसकी क़ब्र पर मिट्टी डाली और वापस लौट आया, अब अगर में न रोउ तो और कौन रोएगा ? हमने पूछा : तेरे भाई का कोई ऐसा काम भी था जिसके बाईस उसे ये सज़ा मिली ? कहा : शायद इस लिए के वो अपने माल की ज़कात न देता था।
*✍🏽मकशफतुल कुलूब, 73*

     ज़कात इस्लाम के 5 अरकान में से एक है, ज़कात की अदाएगी में माल की हिफाज़त, नजाते आख़िरत और रिज़्क़ में बरकत जेसे फवाइद भी पोशीदा है, मगर कुछ लोग ऐसे भि होते है जो हर वक़्त माल, माल और माल की रट लगाने वाले फ़र्ज़ होने के बावुजूद ज़कात अदा नही करते, ऐसो को खूब समज लेना चाहिए के कल बरोज़े क़यामत येही माल उनके लिए वबाले जान बन जाएगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 44*
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