Pages

Thursday 4 August 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-56
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ⑤⑤, तर्जुमह*
और जब तुम लोग बोले थे के अय मूसा ! हरगिज़ न मानेगे हम आपको, यहाँ तक के हम देख ले अल्लाह को एअलानीयह। पस पकड़ा तुम लोगोको कड़कती बिजली ने, और तुम देख रहे हो।

*तफ़सीर*
     और इस वाक़या का हम हिस्सा वो भी है जब अल्लाह के हुक्म से हज़रते मूसा ने 70 आदमियो को चुना था और उनसे रोज़ा रखवा कर, कपड़े पाक साफ़ कराने के बाद, कोहे तुर पर ले कर चले, के गाय पूजा के लिये माफ़ी मांगे। वहा पहोच ते ही एक बादल का पड़छाया खड़ा हो गया, जिसमे हज़रते मूसा दाखिल हो गए और उन 70 लोगो को भी बुलाया, जो उसमे दाखिल हुए और सजदे में गिर पड़े। हज़रते मूसा से अल्लाह ने कलाम फ़रमाया।
     उस वक़्त उनके चमकते चेहरे पर निगाह डालना बशरकी ताकत से बाहर था। लेहाज़ा पर्दा डाल दिया। अल्लाह के कलाम को सबने सुना, मगर अय यहूदियो ! कितनी बड़ी ये तुम्हारी शरारते आबाई (खानदानी बदमाशी) है के तुम लोग बोले थे के अय मूसा ! आज हम उस मकाम में है, जहा पहुच कर कोई आदमी दिलमे मान जानेके सिवा आपके खिलाफ शक भी उम्र भर नही कर सकता। मगर हम लोगों को पूछिए, तो साफ बात ये है के हरगिज़ न मानेगे हम आपको, यहाँ तक के अपनी इन्ही आँखों से इसी मुकाम पर अच्छी तरह हम देख ले अल्लाह को एअलानीयह, जेसे हम एक दूसरे को देखा करते है।
     ज़ाहिर है के कलामे इलाही सुन कर भी, हज़रते मूसा को न मानने की धमकी, आखरी दरजेकि मुजरिमाना बगावत और सरकशी थी। पस इस जुर्म की सज़ा में पकड़ा तुम लोगो को डरावनी, झुल्सा देने वाली बिजली ने, जिसमे पड़ कर तुम लोग इस तरह मर गये के एक एक मरते जा रहे हो और तुम एक दूसरे को मरते हुए देख भी रहे हो।
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment