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Friday 19 August 2016

मदनी पंजसुरह

*दुआ के 3 फायदे*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ फरमाते है : जो मुसलमान ऐसी दुआ करे जिस में गुनाह और कतए रहमी की कोई बात शामिल न हो तो अल्लाह उसे 3 चीज़ों में से कोई एक ज़रूर अता फ़रमाता है :
     या उसकी दुआ का नतीजा जल्द ही उसकी ज़िन्दगी में ज़ाहिर हो जाता है।
     या अल्लाह कोई मुसीबत उस बन्दे से दूर फरमा देता है।
     या उसके लिये आख़िरत में भलाई जमा की जाती है।

     एक और रिवायत में है कि बन्दा जब आख़िरत में अपनी दुआओ का षवाब देखेगा जो दुन्या में मक़बूल न हुई थी तो तमन्ना करेगा, काश ! दुन्या में मेरी कोई दुआ क़बूल न होती।
*✍🏽अलमुस्तदरक लीलहाकिम, 2/163*

     देखा आप ने ! दुआ राएगा तो जाती ही नही। इस का दुन्या में अगर असर ज़ाहिर न भी हो तो आख़िरत में अज़्रो षवाब मिल ही जाएगा। लिहाज़ा दुआ में सुस्ती करना मुनासिब नही।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 183*
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