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Thursday 15 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #22
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दुआए बराए रोशनिये चश्म_*
     आयतुल कुरसी हर नमाज़ के बाद एक बार पढ़ी जाए और नमाज़े पन्जगाना की पाबन्दी करे, और जब इस कलिमे पर पहुचे
*وَلَاَيَءُوْدُهُ حِفْظُهُمَا*
तो दोनों हाथ की उंगलियो के पोरे आँखों पर रख कर इस कलिमे को 11 बार पढ़े फिर आयतुल कुर्सी पूरी करले और दोनों हाथो की उंगलियो पर डीएम कर के आँखों पर फेर ले।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 224*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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