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Sunday 4 September 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सुवारी पर इत्मीनान से बैठ जाने पर दुआ_*

*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ سُبْحٰنَ الَّذِىْ سَخَّرَلَنَا هٰذَا وَمَاكُنَّا لَهُ مُقْرِنِيْنَ وَاِنَّآ اِلٰى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُوْنَ*
अल्लाह का शुक्र है, पाकी है उस जिस ने इस सुवारी को हमारे बस में कर दिया और ये हमारे बुते (ताक़त) की न थी और बेशक हमे अपने रब की तरफ पलटना है।

*✍🏽सुनन अबिदाउद, 3/49*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 217*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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