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Wednesday 21 September 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_इसाले सवाब_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया के क़ब्र में मय्यित डूबते हुए फरियादी की तरह होती है के माँ बाप, भाई बहन, या दोस्त की दाए खैर के पहोचने की मुन्तज़िर रहती है, फिर जब उसे दुआ पहोच जाती है तो ये उसे दुन्या की तमाम नेमतों से ज़्यादा प्यारी होती है और अल्लाह ज़मीन वालो की दुआ से क़ब्र वालो को सवाब के पहाड़ देता है और यक़ीनन ज़िन्दा का मुर्दो के लिये दुआए मग्फिरत करना इन के लिये तोहफा है।
*शोएबुल ईमान, 6/203*

*_जिन्दो का तोहफा_*
     हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه फरमाते है के में ने हुज़ूरﷺ से सुना के जब कोई मय्यित को इसाले सवाब करता है तो जिब्राईल उसे एक नूरानी तबाक में रख कर क़ब्र के कनारे खड़े हो जाते है और कहते है : ऐ गहरी क़ब्र के साथी ! ये तोहफा तेरे घर वालो ने भेजा है, इसे क़बूल कर ले। फिर जब वो सवाब उस की क़ब्र में दाखिल होता है तो वो मुर्दा उस से बेहद ख़ुशी महसूस करता है और उस के वो पड़ोसी गमगीन हो जाते ही जिन की तरफ कोई शै हदिय्या नही की गई होती।
*✍🏽अलमअजम अलवसत, 5/37*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 81*
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