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Saturday 17 September 2016

क़ब्र में आनेवाला दोस्त

*क़ब्र को रौनक बख्शने और इसे आराम देह बनाने वाले आमाल* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मरीज़ की इयादत_*
     हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : हज़रते मूसा ने अल्लाह से अर्ज़ की के मरीज़ की इयादत करने वाले को क्या अज्र मिलेगा ? तो अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया : उस के लिये दो फ़रिश्ते मुक़र्रर किये जाएंगे जो क़यामत तक उस की क़ब्र में रोज़ाना उस की इयादत करेंगे।
*✍🏽शरह सुदूर, 159*

*_इयादत के मदनी फूल_*
      हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती महम्मद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : मरीज़ की इयादत करना सुन्नत है।
     अगर मालुम है के इयादत को जाएगा तो उस बीमार पर गिरा गुज़रेगा ऐसी हालत में इयादत न करे।
     इयादत को जाए और मरज़ की सख्ती देखे तो मरीज़ के सामने ये ज़ाहिर न करे के तुम्हारी हालत खराब है और न सर हिलाए जिस से हालत का खराब होना समजा जाता है।
     उसके सामने ऐसी बाते करनी चाहिए जो उस के दिल को भली मालुम हो।
     उसकी मिज़ाज पुरसी करे, उसके सर पर हाथ न रखे मगर जबके वो इस की ख्वाहिश करे।
     फ़ासिक़ की इयादत भी जाइज़ है क्यू की इयादत हुक़ूके इस्लाम से है और फ़ासिक़ भी मुस्लिम है।
*✍🏽बहारे शरीअत, 16/148*

*_मरीज़ के लिये एक दुआ_*
     हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه से रिवायत है के हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया के जिस ने किसी ऐसे मरीज़ की इयादत की जिस की मौत का वक़्त क़रीब न आया हो और सात मर्तबा ये अलफ़ाज़ कहे तो अल्लाह उसे उस मरज़ से शिफ़ा अता फ़रमाएगा :
*اَسْىٔلُ اللّٰهَ الْعَظِيْمَ رَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ اَنْ يَّشْفِيَك*
में अज़मत वाले, अर्शे अज़ीम के मालिक अल्लाह से तेरे लिये शिफ़ा का सुवाल करता हु।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 3/152*
*✍🏽क़ब्र में आनेवाला दोस्त, 70*
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