*सवानहे कर्बला* #35
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_शहादत के वाक़ीआत_* #15
हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه ख़ैमे से रुख्सत हो कर मैदाने कारज़ार की तरफ तशरीफ़ फरमा हुए, हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه ने नारा मारा और फरमाया की ऐ ज़ालिमाने जफ़ाकेश ! अगर बनी फातिमा के खून की प्यास है तो तूम मेसे जो बहादुर हो उसे मैदान में भेजो, ज़ोरे बाज़ुए अली देखना हो तो मेरे मुक़ाबिल आओ। मगर किसी को हिम्मत थी की आगे बढ़ता ?
जब आप ने मुलाहजा फ़रमाया की दुष्मनाने खूँख्वार में से कोई एक भी आगे नही बढ़ता। तो आप ने दुश्मन के लश्कर पर हमला किया, एक एक वार में कई लोगो गो गिरा दिया, कभी मैमन पर चमके तो मुन्तशिर किया, कभी मैसरा की तरफ पलटे तो सफे दरहम बरहम कर डाली। हर तरफ शोर बरपा हो गया, दिलावरो के दिल छूट गए, बहादुरो की हिम्मते टूट गई, शाहज़ादए अहले बैत का हमला न था, अज़ाबे इलाही की बलाए अज़ीम थी।
धूप में जंग करते करते प्यास का गल्बा हुआ। जंगे मैदान मेसे आप अपने वालिद माजिद की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : प्यास का बहुत गल्बा है। गल्बे की क्या क्या इन्तिहा, 3 दिन से पानी बंद है, तेज़ धूप और इस में जाबाज़ाना दौड़ धुप, गर्म रेगिस्तान। अगर इस वक़्त हल्क़ तर करने के लिये चन्द क़तरे मिल जाए तो फातिमि शेर गुर्बा खसलतो को पैवन्दे ख़ाक कर डाले।
शफ़ीक़ बाप ने जाबाज़ बेटे की प्यास देखि मगर पानी कहा था जो इस तिशनए शहादत को दिया जाता, दस्ते शफ़क़त से चेहरे का गर्दो गुबार साफ़ किया और अपनी अंगुश्तरी अपने बेटे के दहाने अक़दस में रख दी। वालिद की शफ़क़त से फिल जुमला तसकीन हुई फिर सहजादे ने मैदान का रुख किया फिर सदा दी : कोई जान पर खेलने वाला हो तो सामने आए।
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 156*
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हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه ख़ैमे से रुख्सत हो कर मैदाने कारज़ार की तरफ तशरीफ़ फरमा हुए, हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه ने नारा मारा और फरमाया की ऐ ज़ालिमाने जफ़ाकेश ! अगर बनी फातिमा के खून की प्यास है तो तूम मेसे जो बहादुर हो उसे मैदान में भेजो, ज़ोरे बाज़ुए अली देखना हो तो मेरे मुक़ाबिल आओ। मगर किसी को हिम्मत थी की आगे बढ़ता ?
जब आप ने मुलाहजा फ़रमाया की दुष्मनाने खूँख्वार में से कोई एक भी आगे नही बढ़ता। तो आप ने दुश्मन के लश्कर पर हमला किया, एक एक वार में कई लोगो गो गिरा दिया, कभी मैमन पर चमके तो मुन्तशिर किया, कभी मैसरा की तरफ पलटे तो सफे दरहम बरहम कर डाली। हर तरफ शोर बरपा हो गया, दिलावरो के दिल छूट गए, बहादुरो की हिम्मते टूट गई, शाहज़ादए अहले बैत का हमला न था, अज़ाबे इलाही की बलाए अज़ीम थी।
धूप में जंग करते करते प्यास का गल्बा हुआ। जंगे मैदान मेसे आप अपने वालिद माजिद की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : प्यास का बहुत गल्बा है। गल्बे की क्या क्या इन्तिहा, 3 दिन से पानी बंद है, तेज़ धूप और इस में जाबाज़ाना दौड़ धुप, गर्म रेगिस्तान। अगर इस वक़्त हल्क़ तर करने के लिये चन्द क़तरे मिल जाए तो फातिमि शेर गुर्बा खसलतो को पैवन्दे ख़ाक कर डाले।
शफ़ीक़ बाप ने जाबाज़ बेटे की प्यास देखि मगर पानी कहा था जो इस तिशनए शहादत को दिया जाता, दस्ते शफ़क़त से चेहरे का गर्दो गुबार साफ़ किया और अपनी अंगुश्तरी अपने बेटे के दहाने अक़दस में रख दी। वालिद की शफ़क़त से फिल जुमला तसकीन हुई फिर सहजादे ने मैदान का रुख किया फिर सदा दी : कोई जान पर खेलने वाला हो तो सामने आए।
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