*सवानहे कर्बला* #51
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_शहादत के बाद में वाक़ीआत_* #04
इसके बाद मुख्तार ने इब्ने साद और उस के बेटे और शिमर नापाक की गर्दन मारने का हुक्म दिया और इन सब के सर कटवा कर हज़रते मुहम्मद बिन हनफिया दरबारे हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के पास भेज दिये और शिमर की लाश को घोड़े के सूमो से रौंदवा दिया जिस से उसके सीने और पसली की हड्डिया चकना चूर हो गई।
शिमर हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के क़ातिलों में से है और इब्ने साद उस लश्कर का क़ाफ़िला सालार व कमान दार था जिसने हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه पर मज़ालिम के तूफ़ान तोड़े। आज इन जालिमो के सर तन से जुदा कर के दश्त ब दश्त फिराए जा रहे है और दुन्या में कोई इन की बे कसी पर अफ़सोस करने वाला नही। हर शख्स मलामत करता है और नज़रे हक़ारत से देखता है और इन की इस ज़िल्लत व रुसवाई की मौत पर खुश होता है।
मुसलमानो ने मुख्तार के इस कारनामे पर इज़हारे फरह किया और इस को दुश्मनाने इमाम से बदला लेने पर मुबारक बाद दी।
इसके बाद मुख्तार ने एक हुक्मे आम दिया की कर्बला में जो जो शख्स अम्र बिन साद का शरीक था वो जहां पाया जाए मार डाला जाए। ये हुक्म सुन कर कूफा के जफ़ा शिआर सुरमा बसरा भागना शुरू हुए। मुख्तार के लश्कर ने उन का तआक़ुब किया जिस को जहां पाया खत्म कर दिया, लाशो जला डाली, घर लूट लिये।
खोली बिन यज़ीद वो खबिश् है जिस ने हज़रते इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه का सरे मुबारक तने अक़दस से जुदा किया था, ये रु सियाह भी गिरफ्तार करके मुख्तार के पास लाया गया। मुख्तार ने पहले उस के हाथ पैर कटवाए फिर सूली चढ़ाया, आखिर आग में झोक दिया। इस तरह लश्करे इब्ने साद के तमाम अशरार् को तरह तरह के अज़ाबो के साथ हलाक किया। छे हज़ार कुफि जो हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के क़त्ल में शरीक थे उन को मुख्तार ने तरह तरह के अज़ाबो के साथ हलाक कर दिया।
*✍🏽सवानहे कर्बला, 180*
*मुकम्मल...*
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शिमर हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के क़ातिलों में से है और इब्ने साद उस लश्कर का क़ाफ़िला सालार व कमान दार था जिसने हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه पर मज़ालिम के तूफ़ान तोड़े। आज इन जालिमो के सर तन से जुदा कर के दश्त ब दश्त फिराए जा रहे है और दुन्या में कोई इन की बे कसी पर अफ़सोस करने वाला नही। हर शख्स मलामत करता है और नज़रे हक़ारत से देखता है और इन की इस ज़िल्लत व रुसवाई की मौत पर खुश होता है।
मुसलमानो ने मुख्तार के इस कारनामे पर इज़हारे फरह किया और इस को दुश्मनाने इमाम से बदला लेने पर मुबारक बाद दी।
इसके बाद मुख्तार ने एक हुक्मे आम दिया की कर्बला में जो जो शख्स अम्र बिन साद का शरीक था वो जहां पाया जाए मार डाला जाए। ये हुक्म सुन कर कूफा के जफ़ा शिआर सुरमा बसरा भागना शुरू हुए। मुख्तार के लश्कर ने उन का तआक़ुब किया जिस को जहां पाया खत्म कर दिया, लाशो जला डाली, घर लूट लिये।
खोली बिन यज़ीद वो खबिश् है जिस ने हज़रते इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه का सरे मुबारक तने अक़दस से जुदा किया था, ये रु सियाह भी गिरफ्तार करके मुख्तार के पास लाया गया। मुख्तार ने पहले उस के हाथ पैर कटवाए फिर सूली चढ़ाया, आखिर आग में झोक दिया। इस तरह लश्करे इब्ने साद के तमाम अशरार् को तरह तरह के अज़ाबो के साथ हलाक किया। छे हज़ार कुफि जो हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के क़त्ल में शरीक थे उन को मुख्तार ने तरह तरह के अज़ाबो के साथ हलाक कर दिया।
*✍🏽सवानहे कर्बला, 180*
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