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Wednesday 23 November 2016

*जमाअत छोड़ने की सजा* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नमाज़ जमाअत से अदा करो_*
     क़ुरआने पाक और अहादिसे मुबारका में जहा भी नमाज़ की अदाएगी का हुक्म आया है, उससे मुराद नमाज़ को तमाम तर फराइज़ो वाजिबात के साथ अदा करना है। और नमाज़ के वाजिबात में से ये भी है की उसे जमाअत के साथ पढ़ा जाए।

     परह 1 सूरतुल बक़रह, आयत 43 में इर्शाद होता है :
*और नमाज़ काइम रखो और ज़कात दो और रुकूअ करने वालो के साथ रुकूअ करो।*
     तफ़्सीरे ख़ाज़िन में है : इस आयत में नमाज़े बा जमाअत अदा करने पर उभारा गया है।

     एक और मक़ाम पर अल्लाह फरमाता है : पारह 29 सूरतुल कलम, आयत 42-43
*जिस दिन एक साक खोली जाएगी (जिसके माना अल्लाह ही जनता है) और सजदे को बुलाए जाएंगे तो न कर सकेंगे, नीची निगाहे किये हुवे उन पर ख्वाहि चढ़ रही होगी और बेशक दुन्या में सजदे के लीये बुलाए जाते थे जब तंदुरस्त थे।*
     हज़रते इब्राहिम तैमी इस फरमान की तफ़्सीर में फरमाते है : वो कियामत का दिन होगा, उस दिन इन्हें नदामत की जिल्लत ठापे होगी, क्यू की इन्हें दुन्या में जब सजदों की तरफ बुलाया जाता तो ये तंदुरस्त होने के बा-वुजूद नमाज़ में हाज़िर न होते।
     हज़रते काबुल अहबारी इर्शाद फरमाते है : खुदा की कसम ! ये आयते मुबारका जमाअत से पीछे रह जाने वालो ही के बारे में नाज़िल हुई है और बिगैर उज़्र के जमाअत तर्क कर देने वालो के लीये इससे जियादा सख्त कौन सी वईद होगी।
*✍🏽तर्के जमाअत की वईदे, स. 6*
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