*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #78
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑨⑥_*
और बेशक तुम ज़रूर उन्हें पाओगे कि सब लोगों से ज़्यादा जीने की हवस रखते हैं और मुश्रिको (मूर्तिपूजको) से प्रत्येक को तमन्ना है कि कहीं हज़ार बरस जिये और वह उसे अज़ाब से दूर न करेगा इतनी उम्र का दिया जाना और अल्लाह उनके कौतुक देख रहा है
*तफ़सीर*
मुश्रिकों का एक समूह मजूसी (आग का पुजारी) है. आपस में मिलते वक़्त इज़्ज़त और सलाम के लिये कहते है “ज़िह हज़ार साल” यानी हज़ार बरस जियो. मतलब यह है कि मजूसी मुश्रिक हज़ार बरस जीने की तमन्ना रखते हैं. यहूदी उनसे भी बढ गए कि उन्हें ज़िन्दगी का लालच सब से ज़्यादा है.
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*तफ़सीर*
मुश्रिकों का एक समूह मजूसी (आग का पुजारी) है. आपस में मिलते वक़्त इज़्ज़त और सलाम के लिये कहते है “ज़िह हज़ार साल” यानी हज़ार बरस जियो. मतलब यह है कि मजूसी मुश्रिक हज़ार बरस जीने की तमन्ना रखते हैं. यहूदी उनसे भी बढ गए कि उन्हें ज़िन्दगी का लालच सब से ज़्यादा है.
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