*नमाज़ का तरीका* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*मर्द :* रुकूअ में घुटनो को इस तरह हाथ से पकड़िये की हथेलिया घुटनो पर और उंगलिया अच्छी तरह फैली हुई हो पीठ बिछी हुई और सर पीठ की सीध में हो, उचा निचा न हो और नज़र क़दमो पर हो।
*औरत :* रुकूअ में थोडा झुकिये यानि इतना की घुटनो पर हाथ रख दे ज़ोर न दीजिये और घुटनो को न पकड़िये और उंगलिया मिली हुई और पाउ झुके हुए रखिये मर्दों की तरह सीधे मत रखिये।
कम अज़ कम 3 बार रुकूअ की तस्बीह यानि *"सुब्हान-रब्बियल-अज़ीम"* (यानि पाक हे मेरा अज़मत वाला परवर दगार) कहिये।
फिर तस्मिअ यानि *"समी-अल्लाहु-लीमन-हमीदह"* (यानि अल्लाह ने उसकी सुनली जिसने उसकी तारीफ़ की) कहते हुए बिलकुल सीधे खड़े हो जाइये,
इस खड़े होने को क़ौमा कहते है। अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे है तो इसके बाद *"रब्बना-व-लकल-हम्द" या "अल्लाहुम्म-रब्बना-व-लकल-हम्द"* (यानि ऐ अल्लाह ! सब खुबिया तेरे लिये है) कहिये फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
बाक़ी कल की पोस्ट मे.. ان شاء الله
___________________________________
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*औरत :* रुकूअ में थोडा झुकिये यानि इतना की घुटनो पर हाथ रख दे ज़ोर न दीजिये और घुटनो को न पकड़िये और उंगलिया मिली हुई और पाउ झुके हुए रखिये मर्दों की तरह सीधे मत रखिये।
कम अज़ कम 3 बार रुकूअ की तस्बीह यानि *"सुब्हान-रब्बियल-अज़ीम"* (यानि पाक हे मेरा अज़मत वाला परवर दगार) कहिये।
फिर तस्मिअ यानि *"समी-अल्लाहु-लीमन-हमीदह"* (यानि अल्लाह ने उसकी सुनली जिसने उसकी तारीफ़ की) कहते हुए बिलकुल सीधे खड़े हो जाइये,
इस खड़े होने को क़ौमा कहते है। अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे है तो इसके बाद *"रब्बना-व-लकल-हम्द" या "अल्लाहुम्म-रब्बना-व-लकल-हम्द"* (यानि ऐ अल्लाह ! सब खुबिया तेरे लिये है) कहिये फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
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