*नमाज़ का तरीका* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
दूसरे सज्दे से खड़े होते हुए पहले सर उठाइए फिर हाथो को घुटनो पर रख कर पन्जो के बल खड़े हो जाइये। उठते वक़्त बिगैर मजबूरी ज़मीन पर हाथ से टेक मत लगाइये। ये आप की एक रकअत पूरी हुई।
अब दूसरी रकअत में "बिस्मिल्लाह" पढ़ कर अल हम्द और सूरह पढ़िये और पहले की तरह रुकूअ और सज्दे कीजिये,
*मर्द :* दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद सीधा क़दम खड़ा कर के उल्टा क़दम बिछा कर बैठ जाइये
*औरत :* दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद दोनों पाउ सीधी तरफ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बिच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बिच में रखिये।
दो रकअत के दूसरे सज्दे के बाद बैठना कादह कहलाता है अब कादह में तशह्हुद (अत्तहिय्यात) पढ़िये।
क़ादह में तशह्हुद में *"अशहदू अंल्ला-इलाह"* के *लाम* के करीब पहुचे तो सीधे हाथ की बिच की ऊँगली और अंगूठे का हल्का बना लीजिये और छुंगलिया (छोटी ऊँगली) और बिन्सर यानि उसके बराबर वाली ऊँगली को हथेली से मिला दीजिये और कलिमे की ऊँगली उठाइये, मगर इसको इधर उधर मत हिलाये और *"इला"* पर ऊँगली गिरा दीजिये और फौरन सब उंगलिया सीधी कर लीजिये।
अब अगर दो से ज्यादा रकअते पढ़नी है तो "अल्लाहु अकबर" कहते हुए खड़े हो जाइये।
अगर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे है तो तीसरी और चौथी रकअत में क़याम में "बिस्मिल्लाह और अल्हम्दु शरीफ पढ़िये, सूरत मिलाने की ज़रूरत नहीं।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 151-152*
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अब दूसरी रकअत में "बिस्मिल्लाह" पढ़ कर अल हम्द और सूरह पढ़िये और पहले की तरह रुकूअ और सज्दे कीजिये,
*मर्द :* दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद सीधा क़दम खड़ा कर के उल्टा क़दम बिछा कर बैठ जाइये
*औरत :* दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद दोनों पाउ सीधी तरफ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बिच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बिच में रखिये।
दो रकअत के दूसरे सज्दे के बाद बैठना कादह कहलाता है अब कादह में तशह्हुद (अत्तहिय्यात) पढ़िये।
क़ादह में तशह्हुद में *"अशहदू अंल्ला-इलाह"* के *लाम* के करीब पहुचे तो सीधे हाथ की बिच की ऊँगली और अंगूठे का हल्का बना लीजिये और छुंगलिया (छोटी ऊँगली) और बिन्सर यानि उसके बराबर वाली ऊँगली को हथेली से मिला दीजिये और कलिमे की ऊँगली उठाइये, मगर इसको इधर उधर मत हिलाये और *"इला"* पर ऊँगली गिरा दीजिये और फौरन सब उंगलिया सीधी कर लीजिये।
अब अगर दो से ज्यादा रकअते पढ़नी है तो "अल्लाहु अकबर" कहते हुए खड़े हो जाइये।
अगर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे है तो तीसरी और चौथी रकअत में क़याम में "बिस्मिल्लाह और अल्हम्दु शरीफ पढ़िये, सूरत मिलाने की ज़रूरत नहीं।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 151-152*
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