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Wednesday 7 December 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #09
     हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه को हज़रते मिस्तह बिन अशाशा पर बड़ा गुस्सा आया ये आप के खालाज़ाद  भाई थे और बचपन ही में इन के वालिद वफ़ात पा गए थे तो हज़रते अबू बक्रرضي الله تعالي عنه ने इन की परवरिश भी की थी और इन की मुफलिसी की वजह से हमेशा आप इन की माली इमदाद फरमाते रहते थे मगर इस के बा वुजूद हज़रते मिस्तह ने भी इस तोहमत तराशी और इस का चर्चा करने में कुछ हिस्सा लिया था इस वजह से हज़रते अबू बक्र ने गुस्से में भर कर ये क़सम खा ली की अब में मिस्तह की कभी भी कोई माली इमदाद नही करूँगा।
     इस मौके पर अल्लाह ने ये आयत नाज़िल फ़रमाई :
*और क़सम न खाए वो जो तुम में फ़ज़ीलत वाले और गुंजाइश वाले है क़राबत वालो और मिस्कीनों और अल्लाह की राह में हिजरत करने वालो को देने की और चाहिए की मुआफ़ करे और दर गुज़र करे क्या तुम इसे पसंद नही करते की अल्लाह तुम्हारी बख्शीश करे और अल्लाह बहुत बख्शने वाला और बड़ा मेहरबान है।*
     इस आयत को सुन कर हज़रते अबू बीक्रرضي الله تعالي عنه ने अपनी क़सम तोड़ डाली और फिर हज़रते मिस्तह का खर्च ब दस्तूरे साबिक़ अता फरमाने लगे।
     फिर हुज़ूरﷺ ने मस्जिदे नबवी में एक ख़ुत्बा पढ़ा और सूरए नूर की आयते तिलावत फरमा कर मजमाए आम में सुना दी और तोहमत लगाने वालो में से हज़रत हस्सान बिन षाबित व हज़रते मिस्तह व हज़रते हमना और राइशुल मुनाफ़िक़ीन अब्दुल्लाह बिन उबय्य इन चारो को हद्दे क़ज़फ् की सज़ा में अस्सी अस्सी दुर्रे मारे गए।
     शारेहे बुखारी अल्लामा किरमानी अलैरहमा ने फ़रमाया की हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की बराअत और पाक दामनी फतई व यक़ीनी है जो क़ुरआन से षाबित है अगर कोई इस में ज़रा भी शक करे तो वो काफ़िर है।
*✍🏽बुखारी, 2/595*
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 321*
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