*नमाज़ की अहमिय्यत*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
क़ुरआन व हदिष में नमाज़ पढ़ने के बे शुमार फ़ज़ाइल और न पढ़ने की सख्त सजाए वारिद है,
चुनान्चे पारह 28 सूरतुल मुनाफिकिन की आयत नंबर 9 में इरशादे रब्बानी है,
*ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज़ तुम्हे अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुक़सान में है।*
हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी अलैरहमा नक़ल करते है, मुफ़स्सिरीने किराम रहमतुल्लाह तआला फरमाते है की ये आयते मुबारका में अल्लाह तआला के ज़िक्र से पाँच नमाज़े मुराद है,
पस जो शख्स अपने माल यानि खरीदो फरोख्त, मईशत व रोज़गार, साज़ो सामान और औलाद में मसरूफ़ रहे और वक़्त पर नमाज़ न पढ़े वो नुक़सान उठाने वालो में से है।
*_क़यामत का सब से पहला सुवाल_*
सरकारे मदीना ﷺ का इर्दशादे हक़ीक़त बुन्याद है : क़यामत के दिन बन्दे के आमाल में सबसे पहले नमाज़ का सुवाल होगा। अगर वो दुरुस्त हुई तो उसने कामयाबी पाई और अगर उसमे कमी हुई तो वो रुस्वा हुवा और उसने नुक़सान उठाया
*✍🏽कन्जुल अम्माल, 7/115, हदिष:18883*
*_नमाज़ी के लिये नूर_*
सरकारे दो आलम ﷺ का इरशादे गिरामी है : जो शख्स नमाज़ की हिफाज़त करे उसके लिये नमाज़ क़यामत के दिन नूर, दलील और नजात होगी.
और जो इसकी हिफाज़त न करे उस के लिये ब रोज़े क़यामत न नूर होगा और न दलील और न ही नजात। और वो शख्स क़यामत के दिन फिरौन, क़ारून, हमान और उबय बिन खलफ़् के साथ होगा।
*✍🏽मजमउल जवाअद, 2/21, हदिष:1611*
*✍🏽नमाज़ के अहका, 142-144*
___________________________________
खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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चुनान्चे पारह 28 सूरतुल मुनाफिकिन की आयत नंबर 9 में इरशादे रब्बानी है,
*ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज़ तुम्हे अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुक़सान में है।*
हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी अलैरहमा नक़ल करते है, मुफ़स्सिरीने किराम रहमतुल्लाह तआला फरमाते है की ये आयते मुबारका में अल्लाह तआला के ज़िक्र से पाँच नमाज़े मुराद है,
पस जो शख्स अपने माल यानि खरीदो फरोख्त, मईशत व रोज़गार, साज़ो सामान और औलाद में मसरूफ़ रहे और वक़्त पर नमाज़ न पढ़े वो नुक़सान उठाने वालो में से है।
*_क़यामत का सब से पहला सुवाल_*
सरकारे मदीना ﷺ का इर्दशादे हक़ीक़त बुन्याद है : क़यामत के दिन बन्दे के आमाल में सबसे पहले नमाज़ का सुवाल होगा। अगर वो दुरुस्त हुई तो उसने कामयाबी पाई और अगर उसमे कमी हुई तो वो रुस्वा हुवा और उसने नुक़सान उठाया
*✍🏽कन्जुल अम्माल, 7/115, हदिष:18883*
*_नमाज़ी के लिये नूर_*
सरकारे दो आलम ﷺ का इरशादे गिरामी है : जो शख्स नमाज़ की हिफाज़त करे उसके लिये नमाज़ क़यामत के दिन नूर, दलील और नजात होगी.
और जो इसकी हिफाज़त न करे उस के लिये ब रोज़े क़यामत न नूर होगा और न दलील और न ही नजात। और वो शख्स क़यामत के दिन फिरौन, क़ारून, हमान और उबय बिन खलफ़् के साथ होगा।
*✍🏽मजमउल जवाअद, 2/21, हदिष:1611*
*✍🏽नमाज़ के अहका, 142-144*
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