*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़ीहा* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
दूसरे कपड़े मुयस्सर होने के बा वुजूद कामकाज के लिबास में नमाज़ पढ़ना।
*✍🏽गुण्यतुल मुस्तमलि, 337*
मुह में कोई चीज़ लिये हुए होना। अगर इस की वजह से किराअत ही न हो सके या ऐसे अलफ़ाज़ निकले कि जो क़ुरआन के न हो तो नमाज़ ही फासिद हो जाएगी।
*✍🏽दुर्रेमुख्तार, रद्दलमोहतार*
सुस्ती से नंगे सर नमाज़ पढ़ना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/106*
नमाज़ में टोपी या इमाम शरीफ गिर पड़े तो उठा लेना अफज़ल है जब कि अमले कसीर की हाजत न पड़े वरना नमाज़ फासिद् हो जाएगी। और बार बार उठाना पड़े तो छोड़ दे और उठाने से खुशुओ ख़ुज़ूअ मक़सूद हो तो उठाना अफज़ल है।
*✍🏽दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार 2/194*
अगर कोई नंगे सर नमाज़ पढ़ रहा हो या उसकी टोपी गिर पड़ी हो तो उसको दूसरा शख्स टोपी न पहनाए।
रूकू या सज्दे में बिला ज़रूरत 3 बार से कम तस्बीह कहना (अगर वक़्त तांग हो या ट्रेन चल पड़ने के खौफ से हो तो हरज नहीं। अगर मुक्तदि 3 तस्बीह न कहने पाया था कि इमाम ने सर उठा लिया तो इमाम का साथ दे)
नमाज़ में पेशानी से ख़ाक या घास छुड़ाना। हा अगर इन की वजह से नमाज़ में ध्यान बटता हो तो छुड़ाने में हरज नही।
*✍🏽आलमगिरी, 1/106*
सज्दे वग़ैरा में उंगलिया किब्ले से फेर देना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/119*
मर्द का सज्दे में रान को पेट से चिपका देना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/109*
नमाज़ में हाथ या सर के इशारे से सलाम का जवाब देना।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.198*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*✍🏽गुण्यतुल मुस्तमलि, 337*
मुह में कोई चीज़ लिये हुए होना। अगर इस की वजह से किराअत ही न हो सके या ऐसे अलफ़ाज़ निकले कि जो क़ुरआन के न हो तो नमाज़ ही फासिद हो जाएगी।
*✍🏽दुर्रेमुख्तार, रद्दलमोहतार*
सुस्ती से नंगे सर नमाज़ पढ़ना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/106*
नमाज़ में टोपी या इमाम शरीफ गिर पड़े तो उठा लेना अफज़ल है जब कि अमले कसीर की हाजत न पड़े वरना नमाज़ फासिद् हो जाएगी। और बार बार उठाना पड़े तो छोड़ दे और उठाने से खुशुओ ख़ुज़ूअ मक़सूद हो तो उठाना अफज़ल है।
*✍🏽दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार 2/194*
अगर कोई नंगे सर नमाज़ पढ़ रहा हो या उसकी टोपी गिर पड़ी हो तो उसको दूसरा शख्स टोपी न पहनाए।
रूकू या सज्दे में बिला ज़रूरत 3 बार से कम तस्बीह कहना (अगर वक़्त तांग हो या ट्रेन चल पड़ने के खौफ से हो तो हरज नहीं। अगर मुक्तदि 3 तस्बीह न कहने पाया था कि इमाम ने सर उठा लिया तो इमाम का साथ दे)
नमाज़ में पेशानी से ख़ाक या घास छुड़ाना। हा अगर इन की वजह से नमाज़ में ध्यान बटता हो तो छुड़ाने में हरज नही।
*✍🏽आलमगिरी, 1/106*
सज्दे वग़ैरा में उंगलिया किब्ले से फेर देना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/119*
मर्द का सज्दे में रान को पेट से चिपका देना।
*✍🏽आलमगिरी, 1/109*
नमाज़ में हाथ या सर के इशारे से सलाम का जवाब देना।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.198*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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