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Sunday 22 January 2017

*नमाज़ के मकरुहाते तहरिमा* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दाढ़ी, बदन या लिबास के साथ खेलना_*
     कपडा समेटना। जैसा कि आज कल बाज़ लोग सज्दे में जाते वक़्त पाजामा वग़ैरा आगे या पीछे से उठा लेते है।
     अगर कपडा बदन से चिपक जाए तो एक हाथ से छुड़ाने में हरज नहीं।

*_कंधो पर चादर लटकाना_*
     कपड़ा लटकाना मसलन सर या कंधे पर इस तरह से चादर या रुमाल वग़ैरा डालना कि दोनों कनारे लटकते हो,
     हा अगर एक कनारा दूसरे कंधे पर डाल दिया और दूसरा लटक रहा है तो हरज नहीं।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, जी.2 स.488*
     आज कल बाज़ लोग एक कंधे पर इस तरह रुमाल रखते है की इस का एक सिरा पेट पर लटक रहा होता है और दूसरा पीठ पर। इस तरह नमाज़ पढ़ना मकरुहे तहरीमि है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.3 स.165*
     दोनों आस्तीनों में से अगर एक आस्तीन भी आधी कलाई से ज़्यादा चढ़ी हुई हो तो नमाज़ मकरुहे तहरीमि होगी।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, जी.2 स.490*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स.190*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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