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Sunday 8 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_11वी शरीफ अल्लाह वालो की नज़र मे_* #03
     हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिस दहलवी अलैरहमा ने इन लफ़्ज़ों में 11 वी शरीफ का तारीखी सुबूत व मक़बूलिय्यत बयान फ़रमाया है की : हज़रत गौषे पाकرضي الله تعالي عنه के मज़ार पर 11वी शरीफ 11वी तारीख को बादशाह वक़्त व शहर के बड़े बड़े लोग जमा होते, असर की नमाज़ से मगरिब तक क़ुरआन पाक की तिलावत करते, नात शरीफ व मनकबत पढ़ते, ज़िक्र करते फिर मिठाई वगैरा जो नियाज़ तैयार होती वो तकसीम की जाती और नमाज़े ईशा पढ़कर लोग रुख्सत हो जाते।
*✍🏽मल्फ़ज़ाते आजिज़ी फ़ारसी, 62*

     देवबंदी हज़रात के पेशवा हज़रत हाजी हम्दादुल्लाह साहिब क़िबला अलैरहमा ने फ़रमाया : गौषे पाकرضي الله تعالي عنه की 11वी, दसवा, बिसवा, चेहलुम, शाश्माहि, बरसी (उर्स) वगैरा और इसाले षवाब के दूसरे तरीके इसी कानून की बुन्याद पर है की ये सब चीज़े बुनयादी तौर पर मना नही और इनमे कोई हर्ज नही।
*✍🏽फैसला हफ्ते मसअला*

11 वी शरीफ इसाले षवाब ही है और अगर कोई जिद्दी, हठधर्मी न माने तो उसकी हठधर्मी से 11वी शरीफ हराम न हो जाएगी। हा ! उसका आमाल नामा ज़रूर खराब व काला हो जाएगा।

*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 18*
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