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Friday 6 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_11वी शरीफ मुक़र्रर होने का अहम राज़_* #02
     *सवाल :* ये बताइये 11वी शरीफ मुक़र्रर होने में क्या राज़ है ?
     *जवाब :* हुज़ूर सरकार गौषे आज़मرضي الله تعالي عنه के अकीदतमंद हज़रात रबिउस्सानी की 11 तारीख को आपرضي الله تعالي عنه का खत्म दिलाते है। नात, मनकबत और बाअज़ की महफ़िल होती है और कुछ खाना पका कर हाजरीन में तकसीम कर दिया जाता है। ये फातिहा खानी जो 11वी शरीफ के नाम से मशहूर है अस्ल में हुज़ूरﷺ का खत्म शरीफ है।
     हज़रत अल्लामा याफिइ अलैरहमा ने अपनी किताब "कुर्रतुन्नाजीरा" में फरमाते है की, रबिउस्सानी की 11 तारीख को एक बार हुज़ूरﷺ की नियाज़ सरकार गौषे आज़मرضي الله تعالي عنه ने दिया। वो नियाज़ हुज़ूरﷺ की बारगाह में इस क़दर मक़बूल हुई की सरकार गौषे आज़मرضي الله تعالي عنه ने हर माह की 11 तारीख को ये फातिहा मुक़र्रर कर दी। फिर आहिस्ता आहिस्ता इस अमल की निस्बत आप की तरफ हो गई "11वी गौषे पाक की"।
     यानी वो 11वी जो हुज़ूर गौषे पाकرضي الله تعالي عنه किया करते थे, अब आपका उर्स भी 11 तारीख को ही होता है। जबकि आप की तारीख विसाल 17 रबिउस्सानी है।
     किताब "याजदा मजलिस" में लिखा है : हुज़िर गौषे पाकرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ की 12वी तारीख के मिलाद के बहुत पाबंद थे। एक बार ख्वाब में हुज़ूर सरकारे दो आलमﷺ ने फ़रमाया : अब्दुल क़ादिर ! तुमने 12वी से हम को याद किया हम तुम को 11वी देते है। यानी लोग 11वी से तुम को याद करेंगे।
     इसलिए रबीउल अव्वल में आम तौर पर मिलाद मुस्तफा की महफ़िल होती है, तो रबिउस्सानी में हुज़ूर गौषे पाकرضي الله تعالي عنه की 11वी। ये सरकारﷺ का तोहफा था इसलिए सारी दुनिया में फेल गया। लोग तो शिर्क व बिदअत कह कर घटाने की कोशिश करते रहे मगर तरक्की इस क़दर हुई की...
          *तू घटाने से किसी के न घटा है, न घटे..*
          *जब बढ़ाये तुझे अल्लाह तेरा.....*

*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 15*
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