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Thursday 9 March 2017

*मुबारक महीने* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रबीउल अव्वल (रबिउन्नूर शरीफ)* #01

     माहे रबीउल अव्वल तो क्या आता है हर तरफ मौसिमे बहार आ जाता है। मक्की मदनी मुस्तफा ﷺ के दीवानो में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। हर हक़ीक़ी मुसलमान गोया दिल की ज़बान से बोल उठता है :
          *निसार तेरी चहल पहल पर हज़ार ईदे रबीउल अव्वल*
          *सिवाए इब्लीस के जहां में सभी तो खुशियां मना रहे है*
     जब काएनात में क़ुफ़्रो शिर्क और वहशतो बर-बरिय्यत का धुप अँधेरा छाया हुवा था। बारह रबीउल शरीफ को मक्का में हज़रते आमिना رضي الله تعالي عنها के मकाने रहमत निशान से एक ऐसा नूर चमका जिस ने सारे आलम को जगमग जगमग कर दिया। सिसकती हुई इंसानियत की आँख जिन की तरफ लगी हुई थी वो ताजदारे रिसालत ﷺ तमाम आलमीन के लिये रहमत बन कर मादरे गेती पर जल्वा गर हुए।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 325*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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