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Wednesday 8 March 2017

*कुर्ब-व-वस्ले खुदावन्दी*   #2
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
   
        तुम्हारा एक बाज़ू हराम-व-मुबाह, तमाम लिज़्ज़त-व-शेहवत और हर तरहकी आसाइशोंको तज देना है और दुसरा बाज़ू अज़ीयतों, महरुहात और तकालिफ को बर्दास्त करने, फराइज़की अदाइमें सख्तियां सहने, मख्लूक़ और ख्वाहिशाते नफ़स और दुनिया-व-आख़िरतके इरादे-व-आरज़ूसे निकल जानेका नाम है।
          इसी उडानके बाइस तुम्हें कुरबत और विसाल हासिल हो सकता है। और इसीकी वजहसे तमन्नाए पूरी हो सकती है। फिर तुम्हें बड़ी करामतें और इज़्ज़त-व-अज़मत अता होगी और तुम्हें मुकरबीन वसालेलीने खुदावन्दी में शुमार किया जाने लगेगा। जिन पर इनायते रब्बानी हुई और मराआत जिनके शामिले हाल है और जिनको महोब्बते खुदावन्दीने खींच कर रहेमत में छुपा लिया।
        इस आलम में अदबको मल्हूज़ रख्खो और अपने हाल पर इतने मगरूर न हो जाओ के खिदमत अदा करनेमें कोताही करो। रउनत जहल-व-ज़ुल्म और उजलतकी असास (बुनियाद) है।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 114
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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