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Tuesday 25 April 2017

*आक़ा का महीना*#01/19
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     रसूले अकरम ﷺ का शाबानुल मुअज़्ज़म के बारे में फरमान है : शाबान मेरा महीना है और रमज़ान अल्लाह का महीना है।

*_शाबान के 5 हरुफ़ की बहारे_*
     सुब्हान अल्लाह ! माहे शाबानुल मुअज़्ज़म की अज़्मतो पर कुर्बान ! इसकी फ़ज़ीलत के लिये इतना ही काफी है के हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم ने इसे " मेरा महीना" फ़रमाया।
     हज़रत गौषे आज़म رضي الله عنه लफ्ज़ "शाबान" के 5 हरुफ़ के मुतअल्लिक़ नकल फरमाते है :
★ शिन : से मुराद "शरफ" यानी बुज़ुर्गी
★ ऍन : से मुराद "उलुव्व्" यानि बुलंदी
★ बा : से मुराद "बीर" यानि एहसान व भलाई
★ अलिफ़ : से मुराद "उल्फ़त" और
★ नून : से मुराद "नूर" है
     तो ये तमाम चीज़े अल्लाह तआला अपने बन्दों को इस महीने में अता फरमाता है, ये वो महीना है जिस में नेकियों के दरवाज़े खोल दिये जाते है, बरकतों का नुज़ूल होता है, खताए मिटा दी जाती है और गुनाहो का कफ़्फ़ारा अदा किया जाता है, और हुज़ूर ﷺ पर दुरुदे पाक की कसरत की जाती है और ये नबिय्ये मुख्तार صلى الله عليه وسلم पर दुरुद भेजने का महीना है।
*✍🏽गुन्यातू-तालिबिन, जी.1 स.341*
*✍🏽आक़ा का महीना, स. 2-3*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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