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Monday 17 April 2017

*मुसाफहा और मुआनक़ा की सुन्नते और आदाब* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*मुलाक़ात के वक़्त मुसाफहा करने वालो के लिये दुआ की क़बूलिय्यत और हाथ जुदा होने से क़ब्ल ही मगफिरत की बशारत है*
     हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की सरकारे मदीना ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जब दो मुसलमानो ने मुलाक़ात की और मुसाफहा किया तो अल्लाह के जिम्मए करम पर है की उनकी दुआ को क़बूल फरमा ले और हाथ जुदा न होने पाएंगे की इनकी मगफिरत हो जाएगी। और जो लोग जमा हो कर अल्लाह का ज़िक्र करते है और सिवाए रिज़ाए इलाही के ऊब का कोई मक़सद नही तो आसमान से मुनादी निदा देता है की खड़े हो जाओ ! तुम्हारी मगफिरत हो गई, तुम्हारे गुनाहो को नेकियों से बदल दिया गया।
*✍🏽सुन्नते और आदाब, 22*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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