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Friday 7 April 2017

*रजब की बहारे* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     नबिय्ये करीम ﷺ ने फ़रमाया : ऐ लोगो ! अल्लाह से तौबा करो और उस से बख्शीश चाहो बेशक में रोज़ाना 100 मर्तबा अल्लाह के हुज़ूर तौबा करता हु।

     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फरमाते है : तौबा व इस्तिग़फ़ार भी नमाज़, रोज़े की तरह इबादत है. इस लिये हुज़ूरे अन्वर ﷺ ब कसरत तौबा व इसतिगफार किया करते थे. वरना हुज़ूरे अनवर ﷺ मासूम है, गुनाह आप के क़रीब भी नही आता,
     सूफिया फरमाते है की हम लोग गुनाह करके तौबा करते है और वो हज़रात इबादत करके तौबा करते है.

     इस्तिग़फ़ार करने के बे शुमार फ़ज़ाएलो वरकात है. याद् रखिये ! इस्तिग़फ़ार का मतलब है  "मगफिरत तलब करना, गुनाहो की मुआफ़ी मांगना, बख्शीश चाहना" अल्लाह कुरआन में इस्तिग़फ़ार के बारे में इरशाद फ़रमाता है : और वो की जब कोई बे हयाई या अपनी जीनो पर ज़ुल्म करे अल्लाह को याद कर के अपने गुनाहो की मुआफ़ी चाहे और गुनाह कौन बख्शे सिवा अल्लाह के.
📗पारह 4

     तफ़सीरे दुर्रे मन्सूर में है कि जब ये आयते मुबारक नाज़िल हुई तो इब्लीस ने चीख चीख कर अपने लश्कर को पुकारा, अपने सर पर खाक डाली और खूब आहो ज़ारी की, हत्ता कि तमाम कायनात से उस के चेले जमा हो गए और बोले : ऐ हमारे सरदार तुजे क्या हो गया ?
     इब्लीस ने उन्हें इस आयत की खबर दी तो उस के चलो ने कहा : हम उन पर ख्वाहिशात के दरवाज़े खोल देंगे कि वो तौबा व इस्तिग़फ़ार न कर पाएगे और वो इसी ख़याल में होंगे कि हम हक़ पर है ये सुन कर शैतान खुश हो गया.
*✍🏽रजब की बहरे, सफा 9,10*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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