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Saturday 8 April 2017

*रजब की बहारे* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_तौबा की राह में रुकावट_*
     कल की पोस्ट में शैतान के चेलो का ये कहना इंतिहाई क़ाबिले तशविश् है कि हम उन पर ख्वाहिशात के दरवाज़े खोल देंगे कि वो तौबा व इस्तग़फ़ार न कर पाएंगे और वो इसी ख़याल में होंगे कि वो हक़ पर है।

     गोया शयातीन की ये बात हमारे लिये एक चेलेंज की हेसिय्यत रखती है, लिहाज़ा हमें चेलेंज को क़ुबूल करते हुवे मैदाने अमल में उतर जाना चाहिये और खुद से ये अहद करना चाहिए कि हम हर बुरे काम से न सिर्फ खुद बचते रहेंगे बल्कि दुसरो को भी नेकी का हुक्म देते और बुराई से मना करते रहेंगे नीज़ अगर ब तक़ाज़ाए बशरिययत हम से कोई गुनाह सरज़द हो जाए तो इज़्ज़ो नदामत (आजिज़ी व शर्मिंदगी) के साथ फौरन अपने रब से मुआफ़ी मागेंगे।
*✍🏽रजब की बहारे, सफा 10*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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