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Monday 24 April 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #188
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②⑤ⓞ_*
     फिर जब सामने आए जालूत और उसके लश्करों के, अर्ज़ की ऐ रब हमारे हम पर सब्र उंडेल और हमारे पाँव जमे रख काफ़िर लोगों पर हमारी मदद कर.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②⑤①_*
     तो उन्होंने उनको भगा दिया अल्लाह के हुक्म से और क़त्ल किया दाऊद ने जालूत को (5) और अल्लाह ने उसे सल्तनत और हिकमत (बोध) (6) अता फ़रमाई और उसे जो चाहा सिखाया (7) और अगर अल्लाह लोगों में कुछ से कुछ को दफ़ा (निवारण)  न करे (8) तो ज़रूर तबाह हो जाए मगर अल्लाह सारे जहान पर फ़ज़्ल (कृपा) करने वाला है.
*तफ़सीर*
     (5) हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के वालिद ऐशा तालूत के लश्कर में थे और उनके साथ उनके सारे बेटे भी. हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम उन सब में सबसे छोटे थे, बीमार थे, रंग पीला पड़ा हुआ था, बकरियाँ चराते थे. जब जालूत ने बनी इस्त्राईल को मुक़ाबले के लिये ललकारा, वो उसकी जसामत देख कर घबराए, क्योंकि वह लम्बा चौड़ा ताक़तवार था. तालूत ने अपने लश्कर में ऐलान किया कि जो शख़्स जालूत को क़त्ल करे, मैं अपनी बेटी उसके निकाह में दूंगा और आधी जायदाद उसको दूंगा. मगर किसी ने उसका जवाब न दिया तो तालूत ने अपने नबी शमवील अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि अल्लाह के सामने दुआ करें. आपने दुआ कि तो बताया गया कि हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम जालूत को क़त्ल करेंगे. तालूत ने आपसे अर्ज़ की कि अगर आप जालूत को क़त्ल करें तो मैं अपनी लड़की आपके निकाह में दूँ और आधी जायदाद पेश करूँ. आपने क़ुबूल फ़रमाया और जालूत की तरफ़ रवाना हो गए. मुक़ाबले की सफ़ क़ायम हुई. हज़रत दाऊद  अलैहिस्सलाम अपने मुबारक हाथों में ग़ुलेल या गोफन लेकर सामने आए. जालूत के दिल में आपको देखकर दहशत पैदा हुई मगर उसने बड़े घमण्ड की बातें कीं और आपको अपनी ताक़त के रोब में लाना चाहा. आपने गोफन में पत्थर रखकर मारा वह उसकी पेशानी को तोड़कर पीछे से निकल गया और जालूत गिर कर मर गया. हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने उसको लाकर तालूत के सामने डाल दिया. सारे बनी इस्त्राईल बहुत ख़ुश हुए और तालूत ने वादे के मुताबिक़ आधी जायदाद दी और अपनी बेटी का आपके साथ निकाह कर दिया. सारे मुल्क पर हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की सल्तनत हुई. (जुमल वग़ैरह)
     (6) हिकमत से नबुव्वत मुराद है.
     (7) जैसे कि ज़िरह बनाना और जानवरों की बोली समझना.
     (8) यानी अल्लाह तआला नेकों के सदक़े में दूसरों की बलाएं भी दूर फ़रमाता है. हज़रत इब्ने उमर रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है कि रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला एक नेक मुसलमान की बरकत से उसके पड़ोस के सौ घर वालों की बला दूर करता है. सुब्हानल्लाह ! नेकों के साथ रहना भी फ़ायदा पहुंचाता है. (ख़ाज़िन)

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②⑤②_*
     ये अल्लाह की आयतें हैं कि हम ऐ मेहबूब तुमपर ठीक ठीक पढ़ते हैं और तुम बेशक रसूलों में हो.
*तफ़सीर*
     ये हज़रात जिनका ज़िक्र पिछली आयतों में और ख़ास कर आयत “इन्नका लमिनल मुरसलीन” (और तुम बेशक रसूलों में हो) में फ़रमाया गया.
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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