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Monday 22 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_रोज़ादार का ईमान कितना पुख्ता है !_*
     सख्त गर्मी है, प्यास से हल्क़ सुख रहा है, हॉट खुश्क हो रहे है, पानी मौजूद है मगर रोज़ादार उस की तरफ देखता तक नही, खाना मौजूद है भूक की शिद्दत से हालत दीगर गू है मगर वो खाने की तरफ हाथ तक नही बढ़ाता। आप अन्दाज़ फरमाइये इस शख्स का खुदाए रहमान पर कितना पुख्ता ईमान है क्यू की वो जानता है की इस की हरकत सारी दुन्या से तो छुप सकती है मगर अल्लाह से पोशीदा नही रह सकती। अल्लाह पर इस का ये यक़ीने कामिल रोज़े का अमली नतीजा है। क्यू की दूसरी इबादतें किसी न किसी ज़ाहिरी हरकत से अदा की जाती है मगर रोज़े का तअल्लुक़ बातिन से है। इस का हाल अल्लाह के सिवा कोई नही जानता अगर वो छुप कर खा पी ले तब भी लोग तो येही समझते रहेंगे की ये रोज़ादार है। मगर वो महज़ खौफे खुदा के बाइस खाने पीने से अपने आप को बचा रहा है।
     हो सके तो अपने बच्चों को भी जल्दी जल्दी रोज़ा रखने की आदत डलवाये ताकि जब वो बालिग़ हो जाए तो उन्हें रोज़ा रखने में दुश्वारी न हो। चुनान्चे फ़ुक़हाए किराम फ़रमाते है, बच्चे की उम्र 10 साल की हो जाए और उस में रोज़ा रखने की ताक़त हो तो उस से रमज़ान में रोज़ा रखवाया जाए। अगर पूरी ताक़त होने के बा वजूद न रखे तो मार कर रखवाये अगर रख कर तोड़ दिया तो क़ज़ा का हुक्म न देंगे। और नमाज़ तोड़ दे तो फिर पढ़वाइये।
*✍🏼रद्दुल मुहतार, 3/385*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 94*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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