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Monday 8 May 2017

*आक़ा ﷺ का महीना* #14
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शबे बराअत और क़ब्रो की ज़ियारत_*
     उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा फरमाती है : मेने एक रात सरवरे काएनात صلى الله عليه وسلم को न देखा तो बकीए पाक में मुझे मिल गए, आप ने मुझसे फरमाया : क्या तुम्हे इस बात का डर था के अल्लाह और उसका रसूल तुम्हारी हक़ तलफि करेंगे ? मेने अर्ज़ की : या रसूलल्लाह ﷺ ! मेने ख़याल किया था के शायद आप अज़्वाजे मुतह्हरात में से किसी के पास तशरीफ ले गए होंगे।
     तो फ़रमाया : बेशक अल्लाह तआला शाबान की 15वी रात आसमाने दुन्या पर तजल्ली फरमाता है, पस क़बिलए बनी क़ल्ब की बकरियो के बालो से भी ज्यादा गुनाहगारो को बख्श देता है।
*✍🏽सुनन तिरमिजी, जी.2 स.183 हदिष : 739*
*✍🏽आक़ा का महीना, स. 20-21*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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