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Wednesday 17 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*हज़ार गुना षवाब*
     रमज़ान में नेकियों का अज्र बहुत बढ़ जाता है लिहाज़ा कोशिश करके ज़्यादा से ज़्यादा नेकियां इस माह में जमा करलेनि चाहिये। चुनान्चे हज़रत इब्राहिम नखई رحمة الله عليه फ़रमाते है : रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना एक हज़ार दिन के रोज़े से अफज़ल है और रमज़ान में एक तस्बीह यानि سبحان الله कहना इस माह के इलावा हज़ार मर्तबा कहने से अफ़्ज़ल है और रमज़ान में एक रकअत पढ़ना गैर माह की एक हज़ार रकअतो से अफ़्ज़ल है।
*✍🏽अद्दुररुल मन्सूर, 1/454*

*रमज़ान में ज़िक्र की फ़ज़ीलत*
     हज़रत उमर फारुके आज़म رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : रमज़ान में ज़िकरुल्लाह करने वाले को बख्श दिया जाता है और इस महीने में अल्लाह से मांगने वाला महरूम नही रहता।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 3/311, हदिष:3627*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 35*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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