Pages

Saturday 10 June 2017

*फैजाने लै-लतुल क़द्र* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

     लै-लतुल क़द्र इन्तिहाई बरकत वाली रात है। इसको लैलतुल क़द्र इस लिये कहते है के इसमें साल भर के अहकाम नाफ़िज़ किये जाते है। यानी फ़रिश्ते रजिस्टरमे आइन्दा साल होने वाले मुआमलात लिखते है।
उसे (यानी उमूरे तकदीर को) मुक़र्रब फरिश्तों के रजिस्टरों में ज़ाहिर कर दिया जाता है।
*✍🏼तफ़सीरे सावी 6/2398*

     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान على رحما फरमाते है : इस शब को लैलतुल क़द्र चन्द वुजुहात से कहते है।
     1. इसमें साले आइन्दा के उमूर मुकर्रर करके मलाइका के सुपुर्द कर दिये जाते है। क़द्र ब माना तक़दीर या क़द्र ब माना इज़्ज़त यानी इज़्ज़त वाली रात।
     2. इसमें क़द्र वाला क़ुरआने पाक नाज़िल हुवा।
     3. जो इबादत इसमें की जावे उस की क़द्र है।
     4. क़द्र ब माना तंगी यानी मलाइका इस रात में इस क़दर आते है के ज़मीन तंग हो जाती है। इन वुजुह से इसे शबे क़द्र यानी क़द्र वाली रात कहते है।
*✍🏼मवाइज़े निमिय्या 62*

     बुखारी शरीफ की हदीश में है जिसने इस रात में ईमान और इखलास के साथ क़याम किया तो उसके उम्र भर के गुज़श्ता गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।
*✍🏼सहीह बुखारी 1/660*
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1126*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9723 654 786
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment