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Tuesday 27 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_हुक़ूक़ पामाल करना ज़ुल्म भी है_*
     अल्लाह ने मुसलमानो के हुक़ूक़ की पासदारी न करने, उन्हें ज़ुल्मो सितम का निशाना बनाने और बिला वजह सताने वालो को अज़ाबे नार की वईद सुनाई है, इस  लिये खूब मोहतात रहिये और मुसलमानो को बिला वजह डराने, धमकाने और उन का हक़ दबाने से हमेशा बाज़ रहिये। किसी से ना इन्साफी करना, अकेला या भारे मजमा में ज़लील करना, बे इज़्ज़ती करना, गालिया देना, मारना, पीटना और हर वो काम करना जिस से दूसरे के हुक़ूक़ पामाल हो, हकीकतन ये भी ज़ुल्म है।
     शरीअत में ज़ुल्म से मुराद ये है की किसी का हक़ मारना, किसी को बगैर कुसूर के सज़ा देना।
     यद् रखिये ज़ुल्म का अन्जाम बहुत ही भयानक और खतरनाक है, ज़ालिम शख्स आख़िरत में तो अज़ाब का शिकार होता ही है, लेकिन बाज़ अवक़ात ऐसा शख्स दुन्या में भी सख्त हालात से दो चार होता है।
     हज़रते अबू मूसा अशअरी رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : बेशक अल्लाह ज़ालिम को मोहलत देता है, यहाँ तक की जब उस को अपनी पकड़ में लेता है तो फिर उस को नही छोड़ता। ये फरमा कर आप ने पारह 12 सूरए हुद की आयत 102 तिलावत फ़रमाई :
_और ऐसी ही पकड़ है तेरे रब की जब बस्तियों को पकड़ता है उन के ज़ुल्म पर, बेशक उस की पकड़ दर्दनाक कर्री (सख्त) है।_
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 9*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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