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Thursday 6 July 2017

*बैठने की सुन्नते और आदाब* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हमारा उठना बैठना भी सुन्नत के मुताबिक़ होना चाहिये। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم अक्सर किबला शरीफ की तरफ रुए अनवर कर के बैठा करते थे। ज़हे नसीब हम भी कभी कभी किबला रु हो कर बैठे तो कभी मदीना की तरफ मुह कर के बैठे।

★ सुरीन ज़मीन पर रखे और दोनों घुटनो को खड़ा करके दोनों हाथो से घेर ले और एक हाथ से दूसरे को पकड़ ले, इस तरह बेठना सुन्नत है (लेकिन इस दौरान घुटनो पर कोई चादर वगैरा ओढ़ लेना बेहतर है।

★ चार जानू (यानि पालती मार कर) बेठना भी नबिय्ये करीम صلى الله عليه وسلم से साबित है।

★ जहां कुछ धूप और कुछ छाव हो वहा न बेठे। हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जब तुम में से कोई साए में हो और उस पर से साया रुखसत हो जाए और वो कुछ धुप कुछ छाऊ में रह जाए तो उसे चाहिये की वहा से उठ जाए।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 99*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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