*क़र्ज़ देने के फ़ज़ाइल* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_इमामे आज़म का तक़्वा_*
हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله عنه एक जनाज़ा पढ़ने तशरीफ़ ले गए धुप की बड़ी शिद्दत थी और वहा कोई साया भी न था साथ ही एक शख्स का मकान था। उस मकान की दिवार का साया देख कर लोगो ने इमाम साहिब से अर्ज़ किया की हुज़ूर ! आप इस साए में खड़े हो जाइये। आप ने फ़रमाया, की इस मकान का मालिक मेरा मक़रुज़ है और अगर में ने इस की दिवार से कुछ नफा हासिल किया तो में डरता हु की अल्लाह के नज़दीक कहि सूद लेने वालो में मेरा शुनार न हो जाए, क्यू की रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया है की जिस क़र्ज़ से कुछ नफा लिया जाए वो सूद है। चुनान्चे आप धुप ही में खड़े रहे।
अल्लाहु अकबर ! हमारे इमामे आज़म رضي الله عنه का तक़्वा क्या ही खूब था। बुज़ुर्गाने दीन के दिलों में अल्लाह का खौफ फुट फुट कर भरा होता है। इस लिये ये हज़रात क़दम क़दम पर अल्लाह से डरते है। अल्लाह की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मगफिरत हो।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*_क़यामत के गम से बचने के लिये_*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस शख्स को ये बात पसन्द हो की अल्लाह उसे क़यामत के दिन गम और घुटन से बचाए तो उसे चाहिये की तंगदस्त क़र्ज़दार को मोहलत दे या क़र्ज़ का बोझ उस के ऊपर से उतार दे। (यानी मुआफ़ कर दे)
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 115*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*_इमामे आज़म का तक़्वा_*
हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله عنه एक जनाज़ा पढ़ने तशरीफ़ ले गए धुप की बड़ी शिद्दत थी और वहा कोई साया भी न था साथ ही एक शख्स का मकान था। उस मकान की दिवार का साया देख कर लोगो ने इमाम साहिब से अर्ज़ किया की हुज़ूर ! आप इस साए में खड़े हो जाइये। आप ने फ़रमाया, की इस मकान का मालिक मेरा मक़रुज़ है और अगर में ने इस की दिवार से कुछ नफा हासिल किया तो में डरता हु की अल्लाह के नज़दीक कहि सूद लेने वालो में मेरा शुनार न हो जाए, क्यू की रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया है की जिस क़र्ज़ से कुछ नफा लिया जाए वो सूद है। चुनान्चे आप धुप ही में खड़े रहे।
अल्लाहु अकबर ! हमारे इमामे आज़म رضي الله عنه का तक़्वा क्या ही खूब था। बुज़ुर्गाने दीन के दिलों में अल्लाह का खौफ फुट फुट कर भरा होता है। इस लिये ये हज़रात क़दम क़दम पर अल्लाह से डरते है। अल्लाह की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मगफिरत हो।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*_क़यामत के गम से बचने के लिये_*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस शख्स को ये बात पसन्द हो की अल्लाह उसे क़यामत के दिन गम और घुटन से बचाए तो उसे चाहिये की तंगदस्त क़र्ज़दार को मोहलत दे या क़र्ज़ का बोझ उस के ऊपर से उतार दे। (यानी मुआफ़ कर दे)
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 115*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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